Social Media and Mental Health Research: धीमा जहर है सोशल मीडिया

Social Media and Mental Health

कोरोना जैसी महामारी के बाद से ही सोशल मीडिया में उपयोग कई गुना ज्यादा बढ़ गया. डिजिटल दुनिया के उपयोग ने हमारे शरीर स्वास्थ्य के साथ साथ हमारे जीवन पर भी बहुत बड़ा असर डाला है. कोरोना काल में लॉकडाउन वगेरा लगने के साथ ही लोगों का सोशल मीडिया की तरफ बोहोत ज्यादा ही झुकाव हो गया और इससे सामाजिक दूरी भी बढ़ने लगी.

अचानक से हुए इस भयानक बदलाव से हमारे जीवन में बोहोत बड़ा असर पड़ा. और सोशल मीडिया के अधिक उपयोग ने तो कई आपसी भावनात्मक पहलू को ही खत्म कर दिया और साथ में ही

कई तरह की बोहोत गहरी मानसिक पीड़ा को भी जन्म दे दिया. इस बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के ज्यादा बढ़ते उपयोग को लेकर जर्मनी देश के बोचम में रूहर यूनिवर्सिटी के कुछ शोधकर्ताओं ने एक रिसर्च की और यह पता लगाया कि इस बदलाव की वजह ने मानव जीवन को कितना अधिक प्रभावित किया है.

Social Media on Mental health
Social Media on Mental health

मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव

कुछ शोधकर्ताओं ने कहा है कि मानसिक स्वास्थ्य जो है वह दो परस्पर संबंधित पहलुओं पर भी निर्भर करता है- और सकारात्म और नकारात्मक पहलू. मेडिकल न्यूज टुडे के अनुसार इस अध्ययन पर मनोचिकित्सक डॉ. शेल्डन ज़ाब्लो के साथ यह चर्चा की. मानसिक स्वास्थ्य पर डॉ. जाब्लो ने,

यह चेतावनी देते हुए कहा कि यह सोशल मीडिया का कुछ अत्यधिक उपयोग पारस्परिक बंधनों को भी कमजोर कर देता है और यह व्यक्ति के मन में बोहोत नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.

एक्सपर्ट का मानना यह भी है कि यह सोशल मीडिया में कुछ सीमाएं जरूर निर्धारित होनी चाहिए. लोगों को इसके ज्यादा उपयोग से मिलने वाले सुख को सीमित करने की आवश्यकता के बारे में सबको जागरूक करने की जरूरत है. और इसके साथ ही यह भी जानना बेहद जरूरी है,

कि सोशल मीडिया के ज्यादा अतिरिक्त हमारे पास ऐसे कौन से दूसरे साधन हैं जिनसे हमें उसी तरह की खुशी का एहसास कर सकते हैं जो की हमें सोशल मीडिया के उपयोग से मिलती है.

एक्सरसाइज से मस्तिष्क को कैसे लाभ मिलता है

मनोचिकित्सक डॉ. जाब्लों ने यह कहा कि किसी भी तरह की मानिसिक बीमारी में लगभग अधिकांशत: को व्यायाम करने की सलाह दी जाती है. यदि कोई भी व्यक्ति व्यायाम नहीं करता तो उसे कहा जाता है कि वह बिना व्यायाम दवा ठीक प्रकार से काम नहीं करेगी.

डॉ ज़ाब्लो ने यह भी कहा कि व्यायाम न्यूरोट्रांसमीटर, और मस्तिष्क के “प्राकृतिक एंटीडिपेंटेंट्स और एंटी-चिंता अणुओं” के भी उत्पादन को बढ़ाता है. जिससे इससे मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक रहता है लेकिन वही दूसरी तरफ सोशल मीडिया का अधिक प्रयोग करने से मेंटल हेल्थ में कुछ बाधा पहुंचाता है.

डिजिटलाइजेशन के युग’ में स्वस्थ रहना

डॉ. ब्रेलोस्वस्काया के शोध के अनुसार से पता चलता है कि यह सोशल मीडिया और शारीरिक गतिविधि में भी मामूली बदलाव करके कुछ मानसिक स्वास्थ्य को और भी अधिक सुविधाजनक बनाया जा सकता है जो कि हमारे शरीर के मेंटल हेल्थ को बढ़ाने में मदद कर सकता है.

Also Read:

Disclaimer:

इस article में बताई इनफार्मेशन की My Bright Hub पुष्टि नहीं करता है. हमने इस इनफार्मेशन को ऑफिसियल वेबसाइट अथवा डॉक्टर्स और साइंटिस्ट्स के इंटरव्यूज से लिया है. इस article में उपयोग किए गए photo और video आधिकारिक तौर पर हमारे स्वामित्व में नहीं हैं, हमने केवल छवियों और वीडियो को संपादित किया है और इसका सारा श्रेय संबंधित स्वामियों को जाता है।

Leave a Comment